उत्तरकाशी : स्थायी राजधानी के लिए आर-पार की लड़ाई के संकल्प के साथ जनसंवाद यात्रा का उत्तरकाशी में समापन
स्थायी राजधानी समेत उत्तराखंड के मूलभूत सवालों को लेकर पंचेश्वर से निकली थी जन संवाद यात्रा
उत्तरकाशी । स्थायी राजधानी गैरसैंण समेत पहाड़ के तमाम सवालों को लेकर पंचेश्वर से उत्तरकाशी तक की ‘जन संवाद यात्रा’ का आर-पार की लड़ाई के संकल्प के साथ समापन हो गया। स्थायी राजधानी गैरसैंण संघर्ष समिति के तत्वावधान में की जा रही यात्रा सोलहवें दिन उत्तरकाशी पहुंची। आंदोलनकारी सतीश धौलाखंडी और जयदीप सकलानी की अगुआई में जनगीतों के साथ नगर में पहले रैली निकाली गई और फिर सभा आयोजित की गई। सभा को संबोधित करते हुए यात्रा के संयोजक चारु तिवारी ने कहा कि भाजपा-कांग्रेस ने अट्ठारह वर्षों में उत्तराखंड को जिस तरह छला, उसके खिलाफ आर-पार की लड़ाई लड़ी जाएगी।
उन्होंने दोनों दलों पर स्थायी राजधानी के मुद्दे पर जनता के साथ विश्वासघात करने का आरोप लगाते हुए कहा कि गैरसैंण को स्थायी राजधानी देखने के लिए पूरा पहाड़ लामबंद होने लगा है। वरिष्ठ आंदोलनकारी कमला पंत ने कहा कि पहाड़ी प्रदेश की राजधानी गैरसैंण में हो यह राज्य आंदोलन के वक्त से ही जनता की मांग थी लेकिन भाजपा-कांग्रेस ने लगातार इस मांग को हाशिए पर धकेला।
युवा आंदोलनकारी प्रदीप सती ने कहा, जिस उत्साह के साथ संवाद यात्रा को लोगों ने समर्थन दिया है, उससे साफ़ है कि पहाड़ वासी कांग्रेस-भाजपा के पाखंड को समझने लगे हैं. युवा आंदोलनकारी मोहित डिमरी ने कहा कि स्थायी राजधानी गैरसैंण, रोजगार, शिक्षा, स्वास्थ्य, पलायन और नए जिलों के गठन समेत तमाम ज्वलंत मुद्दों को लेकर पंचेश्वर से लेकर उत्तरकाशी तक की यह संवाद यात्रा ने प्रदेश में संघर्षों की बड़ी जमीन तैयार कर दी है। राज्य आंदोलनकारी वरिष्ठ पत्रकार योगेश भट्ट ने कहा कि सरकार को ग्रीष्मक़ालीन-शीतकालीन की सनक छोड़ कर गैरसैंण को प्रदेश की स्थायी राजधानी घोषित करनी होगी। इसके लिए पूरा पहाड़ एकजुट हो रहा है। युवा आंदोलनकारी मनीष सुंदरियाल और नारायण सिंह रावत ने कहा कि उत्तराखंड के मूल भूत सवालों को लेकर हुक्मरानों ने पिछले अट्ठारह वर्षों में जनता को जिस तरह छला है उसको लेकर सवाल पूछने का वक्त आ गया है।
गैरसैंण से आए नारायण बिष्ट और पिथौरागढ़ के युवा मुकुल भट्ट ने कहा कि सरकार पहाड़ की ज़मीनों को उद्योगपतियों के हवाले करने की साज़िश कर रही है जिसका प्रतिकार करना होगा। नमन चंदोला ने कहा कि कृषि उत्तराखंड की रीढ़ रही है लेकिन इसे बड़ी साजिश के तहत खत्म किया जा रहा है ताकि पूंजीपतियों के लिए आसान रास्ता तैयार किया जा सके। संवाद यात्रा में शामिल लोगों में विनोद डिमरी, रमेश नौटियाल, त्रिलोचन भट्ट, विनोद बगियाल, लुसुन टोडरिया, सुरेश नेगी, हृदयेश शाही, गणेश धामी, सुरेंद्र पुरी, दीपेन्द्र कोहली आदि थे।