March 22, 2023

बेटा नहीं, सुपुत्र बनना होगा : महामंडलेश्वर

पंकज वालिया / सनसनी सुराग न्यूज जनपद शामली

बेटा वह होता है जो कि संपत्ति के बंटवारे पर अधिक से अधिक ध्यान दें।
पुत्र वह होता है जो कि माता पिता की सेवा करें और वह सभी कर्म करें जिससे कि अपने कुल की मर्यादा का मान रखें और इसके अलावा माता-पिता की पूर्ण रूप से सेवा करें जिस प्रकार से भगवान श्रीराम जी ने अपने पिता का मान रखने के लिए राजतिलक छोड़कर वनवास जाना स्वीकार किया था।

 

 

 

उक्त विचार विश्व हिंदू महासंघ द्वारा आयोजित समरसता सप्ताह के तहत नगर के होटल सुखचैन में कार्यकर्ता सम्मेलन आयोजित सम्मेलन में मुख्यातिथि श्री श्री 1008 महामंडलेश्वर सत्यानन्द गिरी ने प्रकट किए।

 

सन्त रवि दास जी की जयंती के अवसर पर आयोजित समरसता सप्ताह के अंतर्गत चल रहे कार्यक्रमों की श्रेणी में कार्यकर्ता परिचय सम्मेलन का आयोजन किया गया। जिसमें मुख्य अतिथि के रूप में महामंडलेश्वर सत्यानंद गिरी जी व साध्वी सविता देवी जमुना दास ने प्रतिभाग किया। महामंडलेश्वर ने कहा कि हमें अपने धर्म से जूड़ना चाहिए जातिवाद की जो कुप्रथा हिंदू समाज में है उससे हमें जल्द से जल्द विरक्त होना होगा कोई भी जाति बिरादरी का व्यक्ति हो उसे अपनी जाति बिरादरी नहीं, सिर्फ और सिर्फ इतना कहना है कि वह हिंदू है क्योंकि सत्य सनातन धर्म संस्कृति को मानने वाला प्रत्येक व्यक्ति हिंदू है और हम सबको उसी दशा में हिंदू बनना होगा।

 

महामंडलेश्वर ने कहा कि हम सबको अपनी धर्म संस्कृति के प्रति अटूट श्रद्धा रखनी होगी क्योंकि इसी संस्कृति की बदौलत हम एक वक्त विश्व गुरु थे और आज फिर से हमें विश्व गुरु बनना है। विश्व गुरु बनने के लिए हम सबको अपनी संस्कृति अपनी सभ्यता को पूरे मन से अपनाना होगा। साध्वी जी ने कहा कि जिस प्रकार से आज हिंदू धर्म ग्रंथ का अपमान किया गया है उसका कारण यही है कि हम सब लोग जाति बिरादरी में बंट गए हैं, यदि हम सब जाति बिरादरी को भूलकर सिर्फ और सिर्फ हिंदू हैं, इसी बात पर ध्यान दें, तो किसी की भी हिम्मत नहीं कि हमारे धर्म ग्रंथों का अपमान कर सके। उन्होंने कहा कि सत्य सनातन संस्कृति बहुत ही विराट है और समरसता सप्ताह जो कार्यक्रम चलाया जा रहा है, उसका उद्देश्य यही है कि जात बिरादरी की जो बात हम सबके मन में कहीं ना कहीं हैं, उसको पूरी तरीके से समाप्त किया जा सके। दोनों संतों ने पूरे हिंदू समाज से आह्वान किया कि वह एकजुट हो जाए क्योंकि एकता में ही वह शक्ति है, जो असंभव को भी संभव बना सकती है। कार्यक्रम में सबसे बड़ी बात, संतों का सम्मान रही। अपनी सत्य सनातन संस्कृति का अनुसरण करते हुए कार्यक्रम के दौरान संतों के पांव को पखारा गया और उसके बाद संतों के चरण रज मिले हुए गंगाजल को सभी पर छिड़क कर उन्हें पवित्र किया गया। संतों के चरणरज मिला जल जब श्रद्धालुओं के शरीर से स्पर्श हुआ तो उन्हें एक अलग ही आनंद की अनुभूति हुई और संतों का आशीर्वाद प्राप्त हुआ।

 

 

 

 

 

 

कार्यक्रम संयोजक मण्डल प्रभारी पंकज वालिया ने सभी से आह्वान किया कि आज संतों का आशीर्वाद पाकर सभी धन्य हो गए। उन्होंने सभी से आह्वान किया कि वे सभी अपनी संस्कृति का अनुसरण करते हुए जाति बिरादरी रूपी जहर को अपने अंदर से पूरी तरीके से बाहर कर दें और सभी सिर्फ और सिर्फ एक ही पहचान बनाएं कि हम हिंदू हैं। जिस दिन यह भाव हमारे मन में आ गया उस दिन हिंदुस्तान को हिंदू राष्ट्र बनने से कोई भी नहीं रोक पाएगा। इससे पूर्व बड़ी संख्या में आई मातृशक्ति द्वारा महामंडलेश्वर और साध्वी जी का प्रतीक चिन्ह, भगवा वस्त्र एवं रुद्राक्ष की माला पहना भव्य स्वागत किया गया।

 

 

 

 

 

 

कार्यक्रम की अध्यक्षता मनोज सैनी द्वारा की गई। कार्यक्रम मुख्य रूप से मेरठ मण्डल प्रभारी नरेश उर्फ बिल्लू प्रधान, रवि दयाल, दीपक कुमार प्रजापति(पानीपत),
जिला प्रभारी राजेश चौहान, रविन्द्र कालखण्डे, बिट्टू कुमार, अरविंद कौशिक, मनीष नामदेव, गोरक्ष प्रकोष्ठ जिलाध्यक्ष रामकुमार उर्फ आशु सैनी, मुज्जफरनगर जिला प्रभारी बिट्टू चौधरी, मुज्जफरनगर जिला प्रभारी राजीव धीमान, राजेश कुमार, मनीष नामदेव, मोहित गुप्ता, सीमा गर्ग, नीतू सिंह, सीमा शर्मा, ममता रेखा, शशि अरोरा, संगीता जिंदल, महिमा वालिया, सचिन सैनी, प्रवीण गर्ग, प्रदीप डाबरा, आदि मुख्यरूप से उपस्थित रहे।

 

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