शहरों की धुंध पहाड़ो तक
- सुरेन्द्र अवस्थी /उत्तरकाशी
हमने अमूमन सुना है कि आज कोहरे की वजह से दर्जनों ट्रेन देर से पहुची या दर्जनों उड़ाने रद्द कर दी गयी। पर ये शहरों की स्थिति थी।
आज यही स्थिति पहाड़ो पर भी हो रही है। कुछ वर्षों मे देखने को मिला है कि सर्दियों में पहाड़ो पर बरसात का हो मुश्किल सा हो गया है। अब इसे आप क्लाइमेक्स चेंज कहे या भोतिकीकरण ।
आज कल पहाड़ो मे भी सुबह शाम धुंध दिखायी पड़ रही है। इसका प्रमुख कारण अभी तक पहाड़ो पर बरसात का न होना है। अगर फरवरी तक बरसात न हुई तो इसके दूरगामी परिणाम बड़े ही भयवाह होंगे। पहाड़ो मैं सुबह शाम धुंध इतनी बढ़ गयी है कि सुबह शाम बहार निकलना मुश्किल हो रहा है। जबकि पहाड़ो के कठिनाई भरे जीवन मे सुबह शाम ही कार्य करने का प्रमुख समय है।
आज भोतिकीकरण तो शहरों मैं हुआ पर इसका असर पहाड़ो पर भी देखने को मिल रहा है। अभी तक बरसात न होने के कारण सदानीर नदियां भी सूखी दिखाई पड़ रही है। ये जो आज शहरों मैं हो रहा है ये हमें विकास नही बल्कि विनाश की ओर अग्रसर कर रहा है।