श्री राम कथा साध्वी सुश्री गरिमा भारती जी दिव्य ज्योति जागृति संस्थान सहारनपुर प्रसंग:- प्रभु श्री राम जी का अयोध्या वापस आना

Day 7
सतीश सेठी/ब्यूरो चीफ सनसनी सुराग न्यूज सहारनपुर
दिव्य ज्योति जागृति संस्थान की ओर से सहारनपुर में सात दिवसीय श्री राम कथामृत का आयोजन किया गया।
जिसमें साध्वी गरिमा भारती जी ने रामचरितमानस के आधार पर प्रभु श्रीराम के अनन्य भक्त हनुमान जी की सुंदर यात्रा का वर्णन किया जो साधारण नहीं ,अपितु एक भक्त की भगवान की भक्ति को पाने की यात्रा थी। यह सुंदरकांड प्रत्येक भक्त को भक्ति पथ पर अग्रसर होते हुए मार्ग में मिलने वाली बाधाओं की ओर संकेत करता है। हनुमान जी की यात्रा के दौरान मैनाक पर्वत ,सुरसा और सिंहका राक्षसी प्रतीक हैं राजसिक, तामसिक, सात्विक तीन रूप में आने वाली बाधाओं की ओर। भक्तों का भक्ति पथ इतना सहज व सरल नहीं होता। सांसारिक किसी वस्तु की उपलब्धि के लिए यदि एक व्यक्ति को तप करना पड़ता है तो वही ईश्वर की भक्ति को प्राप्त करने के लिए भी इन पडाव में से गुजरना पड़ता है। परंतु हनुमान जी ने अपनी यात्रा को प्रभु श्री राम जी को एक एक पल अपने संग अनुभव करते उनकी कृपा से पूर्ण किया, ठीक ऐसे ही हनुमान जी की मानिंद हमें भी अपनी भक्ति यात्रा को करना है। हनुमान जी के मार्ग में भले ही कितनी बाधाएं आई परंतु उनका जज्बा प्रभु श्री राम जी के कार्य को करने का तनिक भी कम नहीं हुआ। वह अपने मार्ग में आने वाली किसी भी बाधा से विचलित नहीं हुए। हनुमान जी का जीवन आज हमारे समाज के युवाओं के लिए भी एक प्रेरणा है। आज हमारे समाज के युवा असफलता मिलने पर अपने लक्ष्य से विचलित हो जाते हैं। पथभ्रष्ट हुआ युवा चरित्र हीनता, आतंकवाद नशाखोरी, भ्रष्टाचार के पथ पर अग्रसर हो जाता है। सर्व श्री आशुतोष महाराज जी आज ब्रह्म ज्ञान को प्रदान कर समाज के युवाओं की भीतर सोई हुई शक्ति को जागृत करने का कार्य कर रहे हैं, क्योंकि मन की क्षमताएं सीमित हैं आत्मा असीम है। आज आवश्यकता है समाज में प्रत्येक व्यक्ति के जागरूक होने की, चाहे वह सामाजिक पक्ष हो या फिर आध्यात्मिक। प्रत्येक पक्ष में आज आंतरिक जागरूकता की आवश्यकता है ।
प्रभु श्री राम जी के लक्ष्य राम राज्य में जिस प्रकार से हनुमान जी नल नील, जामवंत जी ,अंगद जी इत्यादि ने अपना योगदान दिया, ठीक ऐसे ही सर्व श्री आशुतोष महाराज जी जिनका विश्व शांति का लक्ष्य है। आवश्यकता है कि हम प्रत्येक व्यक्ति उस विश्व शांति के यज्ञ में अपनी आहुति प्रदान करें। हम सभी इस समाज की एक इकाई हैं और इकाई होने के नाते समाज में शांति स्थापित करने के लिए हमारा भी दायित्व बनता है। हनुमान जी के द्वारा तय की गई, इस यात्रा को गोस्वामी तुलसीदास जी ने सुंदरकांड का नाम दिया। हनुमान जी ने जिस सुंदर ढंग से भक्ति यात्रा को तय किया, वही यात्रा हमें भगवान की सुंदर भक्ति को प्राप्त कर अपने जीवन को सुंदर बनाने का संदेश देती है ।
कथा के समापन दिवस पर सभी सेवादारों एवं संगत ने भजनों पर खूब झूम कर नृत्य किया!
प्रभु की पावन आरती के बाद प्रसाद भंडारे का वितरण हुआ!।