केंद्र और राज्य की डबल इंजन सरकार गांव-गांव तक विकास पहुचाने की बात करती है। सरकार कहती है कि आखरी गांव तक विकास की नई रूपरेखा लिखी जायेगी। लेकिन इसकी हकीकत बंया करता है जनपद उत्तरकाशी का स्यूना गांव। जो की जिला मुख्यालय से मात्र 4 किमी की दुरी पर स्थित है। इस गांव को पक्की सड़क तो छोड़ दीजिए। एक अदद पैदल मार्ग भी नसीब नहीं है। स्यूना गांव में आज 30 परिवार रहते है। सर्दियों में यह लोग भागीरथी नदी पर लकड़ी का कच्चा पुल बनाकर पैदल गंगोरी तक आवाजाही करते है। लेकिन गर्मियां और बरसात आते ही नदी में पानी बढ़ते ही पुल टूट बह जाता है। जिसके बाद ग्रामीणों को सड़क मार्ग तक पहुचने के लिए जंगल के रास्तो से गुजरना पड़ता है।
जहाँ पर जंगली जानवरों सहित पहाड़ी से लगातार पत्थर आने का भय बना रहता है। वही कक्षा 6 के बाद छात्र- छात्रों को गांव से बहार पढाई के लिए जाना पड़ता है। वही शादी और किसी के बीमार होने पर लोगों को सबसे ज्यादा परेशांनी होती है। सोमवार को स्यूना गांव की महिलाएं डीएम के पास पहुंची और मांग की है कि सड़क नहीं तो पैदल मार्ग को सही कर उनकी आवाजाही को सुगम बनाया जाये। कहा इसके बाद भी नहीं सुनी गई तो आंदोलन के लिए बाध्य होना पड़ेगा।