संत शिरोमणि गुरु श्री रविदास जी के प्रकाश उत्सव पर दिव्य ज्योति जागृति संस्थान द्वारा दो दिवसीय कार्यक्रम

प्रभजोत सिंह दुग्गल / सनसनी सुराग न्यूज
दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान के द्वारा श्री गुरु रविदास महाराज जी की जयंती के उपलक्ष्य में बस्ती नौ, श्री गुरु रविदास मंदिर में दो दिवसीय कार्यक्रम किया गया l जिसके द्वितीय व अंतिम दिवस श्री आशुतोष महाराज जी के शिष्या साध्वी सौम्या भारती जी के द्वारा प्रकाश उत्सव पर प्रेरणादायक विचार प्रदान किए गए
साध्वी जी ने बताया कि
हमारा मन बड़ा
शक्तिशाली हैं। अगर हम अपनी इच्छा
के मुताबिक इसे काबू करने की
तरकीब हासिल कर ले, तो यह
रचनात्मक तरीके से काम करके
चमत्कार दिखा सकता है। इसके
विपरीत अगर इसे बेलगाम और
बेकाबु छोड़ दिया जाए, तो यह पूर्ण
विनाश का रास्ता भी दिखा सकता
है। इसी लिए मन पर नियंत्रण करने
की आवश्यकता है।
जब हम बाधाओं से पीड़ित होते हैं, तो आध्यात्मिक रूप से जागरूक दृष्टिकोण हमें डगमगाने नहीं देता। यह हमारी
योग्यताओं को भरपूर रूप से उपयोग करने की प्रेरणा देता है। अध्यात्म का अभ्यास हमारे मन को सत्य और शुद्धि की ओर मोड़ता
है। यदि हमने अपने आंतरिक कोष को सकारात्मक बना लिया है, तो
बाधाओं को जीतने और नकारात्मक परिस्थितियों का सामना करने में हम सफल हो सकते हैं। अध्यात्म सांसारिक दुःखों और पीड़ाओं से जूझने में भी
हमारी मदद करता है। अध्यात्म पथ पर हम स्वीकार कर लेते हैं कि जो कुछ हो रहा है, ईश्वर की इच्छा से ही हो रहा है। इस प्रकार की
रचीकृति हमारे संतुलन को बनाये रखने में मददगार होती है। ईश्वर के प्रति पूर्ण समर्पण हमारी आंतरिक शक्ति को संजोये रखता है।
जीवन में आध्यात्मिकता का सूत्रपात करने का उत्तम तरीका ‘ब्रह्मज्ञान की ध्यान-साधना’ है। सच्ची साधना यानी पूर्ण गुरु द्वारा दिया गया ज्ञान और उनके द्वारा बताई गई साधना विधि के द्वारा
हमारे विचार संशोधित होते हैं। हमें शुद्ध बहुमूल्य दिलासा मिलता है। सच्ची आध्यात्मिकता का आरोग्यदायी स्पर्श हमारे हृदय और मन
से अज्ञान के रोग को दूर कर देता है। हमारी ज़िन्दगी को शांत, निर्मल और आनन्दमय बना डालता है।