मुख्य चिकित्सा अधिकारी, डॉ बी0एस0 रावत की अध्यक्षता में राष्ट्रीय रेबीज नियंत्रण कार्यक्रम के अन्तर्गत विश्व रेबीज दिवस आज कार्यालय मुख्य चिकित्सा अधिकारी सभागार उत्तरकाशी में मनाया गया। विश्व रेबीज दिवस की इस वर्ष की थीम “Breaking Rabies Boundaries” रखी गयी है, जिसका मुख्य लक्ष्य रेबिज रोग प्रबन्धन पर आने वाली बाधाओं को दूर करने पर ध्यान केन्द्रित करना है।
डाॅ0 कुलवीर सिंह राणा, जिला क्षय रोग अधिकारी, उत्तरकाशी एवं डाॅ0 अमिता डोगरा, पैथोलोजिस्ट, चिकित्सा अधिकारी, जिला चिकित्सालय, उत्तरकाशी के द्वारा रेबीज नियंत्रण एवं बचाव के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई। डाॅ0 अमिता डोगरा, पैथोलोजिस्ट के द्वारा बताया गया कि रेबीज की जानकारी ही बचाव है, रेबीज एक वायरल संक्रमण है जो मनुष्यों और जानवरों में हमेशा ही घातक होता है। मनुष्यों को कुत्ते एवम अन्य जानवरों के काटने के उपरांत सबसे पहले जख्म/घाव को साबुन और साफ बहते हुऐ पानी से 15 मिनट तक अच्छी तरह से धोएं। घाव पर उपलब्ध एंटीसेप्टिक (आयोडिन/स्प्रिट/इत्यादि) लगायें। घाव को खुला छोड़े और टांके ना लगवाएं। तुरंत ही अपने डाॅक्टर कि सलाह से एंटी रेबीज और इम्यूनोग्लोबिन सिरम का टीका लगवाएं तथा समय-समय पर पालतू जानवरों को नियमित एंटी रेबीज टीका लगवाए।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ बी0एस0 रावत द्वारा जानकारी दी गई कि ब्लाॅक स्तर पर आज समस्त चिकित्सा इकाईयों एवं आयुष्मान आरोग्य मंदिरों में विश्व रेबीज दिवस के रूप में मनाया गया, जिसके तहत् समस्त चिकित्सा स्वास्थ्य इकाईयों में गोष्ठी के माध्यम से आम जनमानस को जागरूक किया गया एवं आर0बी0एस0के0 टीमों के द्वारा स्कूल/काॅलेजों में रेबीज से सम्बन्धित जानकारी प्रदान करने के साथ वृह्द जन जागरूकता अभियान चलाया गया। साथ ही मुख्य चिकित्सा अधिकारी द्वारा जानकारी दी गई कि सम्पूर्ण जनपद में रेबीज से बचाव के सम्बन्ध में एक सप्ताह तक जन जागरुकता कार्यक्रम आयोजित किये जायेंगे।
इस अवसर पर खुशपाल सिंह चौहान, उदयप्रकाश, संजय बिजल्वाण, प्रमोद नौटियाल, अनिल बिष्ट, मनोज भट्ट, राकेश उनियाल एवं हरिशंकर नौटियाल आदि उपस्थित रहे।