तकनीकी शिक्षा में स्टेम एजुकेशन बहुत जरूरी

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पंकज वालिया/ सनसनी सुराग न्यूज जनपद शामली

दिनांक 15-09-2023
शामली

वर्तमान समय में तकनीकी शिक्षा जिसे हम स्टेम एजुकेशन भी कहते हैं बहुत आवश्यक है। वर्तमान समय में नेशनल एजुकेशन पॉलिसी भी स्टेम लर्निंग को स्कूल में पूरी तरह से अमल में लाने के लिए जोर डालती है। यह है हम सभी जानते हैं कि जो हम सुनते हैं वह भूल जाते हैं, जो हम देखते हैं वह याद रख पाते हैं और जो हम खुद से करते या बनाते हैं उसे हम पूर्ण रूप से समझ पाते हैं। इस बात को ध्यान में रखते हुए वर्तमान समय में विद्यार्थियों को तकनीकी कौशल की ट्रेनिंग दी जाती है। इस ट्रेनिंग के अंतर्गत दुनिया के विषय में कार्यशाला आयोजित की जाती है जिसमें विद्यालयों को प्रोजेक्ट एवं मॉडल तैयार करना सिखाया जाता है जो कि वर्तमान समय में अत्यंत उपयोगी है इस ट्रेनिंग में जो विषय क्लास रूम में विद्यार्थियों को पढ़ाये जाते हैं उन विषयों पर प्रोजेक्ट और मॉडल विद्यार्थियों द्वारा तैयार कराकर उनके ज्ञान को सुदृढ़ बनाते हैं।

 

 

स्टेम एजुकेशन विद्यार्थियों की जिज्ञासा का विकास कर उनकी रचनात्मकता को बढ़ाकर उन्हें वैज्ञानिक तकनीकी कौशल में पारंगत बनता है उक्त उद्गार सेंट. आर. सी. कान्वेंट स्कूल में आयोजित तीन दिवसीय तकनीकी विकास कार्यशाला के अवसर पर स्कूल की प्रधानाचार्या श्रीमती मीनू संगल जी ने व्यक्त किया हरिद्वार की विज्ञान तकनीकी फाउंडेशन ऑफ इंडिया के मैनेजर जगप्रीत सिंह एवं इंजीनियर मनीष कुमार, इंजीनियर शिवम चौरसिया, इंजीनियर आकाश लोढ़ी व इंजीनियर ऋषभ भारद्वाज ने कक्षा 9 के विद्यार्थियों को सनपैक, प्लास्टिक गिलास, फिल्टर पेपर, स्केच पैन, प्लास्टिक बाउल, स्टीकर, बोर्ड पिन आदि की सहायता से क्रोमैटोग्राफी का वर्किंग मॉडल तैयार कराकर इसके कार्य के विषय में जानकारी प्रदान करते हुए कहा कि क्रोमैटोग्राफी ग्रीक कोमा से जिसका अर्थ है रंग और ग्राफीन का मतलब लिखना एवं मिश्रण के पृथक्करण के लिए एक प्रयोगशाला तकनीक है। क्रोमेटोग्राफी का प्रयोग ज्यादातर रंगों को अलग करने में प्रयोग किया जाता है क्रोमैटोग्राफी जैव रसायन में सबसे उपयोगी तकनीक में से एक है। इसका प्रयोग प्रोटीन पेस्टिसाइड विटामिन, अमीनो एसिड, लिपिड आदि जैसे निकट संबंधी यौगिको को इस विधि का उपयोग करके मिश्रण से अलग किया जाता है। इसका प्रयोग दवा उद्योग, आणविक जीव विज्ञान खाद्य उद्योग आदि में किया जाता है।
इसके अतिरिक्त कक्षा 8 के विद्यार्थियों को फोम सेट प्लास्टिक फनल, गुब्बारे सिरिंज, प्लास्टिक पाइप, स्केल आदि की सहायता से मैनोमीटर का वर्किंग मॉडल तैयार कराकर उसके कार्यविधि एवं उपयोग के बारे में जानकारी प्रदान करते हुए कहा कि यह एक नली को यू-आकार में मोड़कर बनाया जाता है दूसरा सिरा दाब निकाले जाने वाले द्रव्य के पात्र से जुड़ा रहता है। यू-ट्यूब में साधारण के पारा/मर्करी, कार्बन डाइऑक्साइड अल्कोहल भरा होता है। इसका उपयोग किसी भी तरल पदार्थ दबाव को नापने के लिए किया जाता है।
विद्यार्थियों ने प्रोजेक्ट के वर्किंग मॉडल स्वयं तैयार कर अत्यंत हर्ष का अनुभव किया।
कार्यशाला का संचालन डायरेक्टर भारत सिंगल जी के दिशा निर्देशन में किया गया इस अवसर पर उन्होंने विद्यार्थियों द्वारा बनाए गए मॉडल की प्रशंसा करते हुए कहा कि वर्तमान समय में विज्ञान की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए विद्यार्थियों में तकनीकी कौशल का विकास करना अत्यंत आवश्यक हो गया है क्योंकि वर्तमान समय विज्ञान का युग है जो विद्यार्थी वैज्ञानिक तकनीकी कौशल में पारंगत होगा वही भविष्य में निरंतर प्रगति की ओर अग्रसर होगा।
इस अवसर पर हरिओम वत्स, अंशुल गुप्ता, अभिषेक वर्मा, अभिनव मलिक, बनीता खैवाल, पवन वशिष्ठ आदि अध्यापकों का सहयोग सराहनीय रहा।

*मीनू संगल*
प्रधानाचार्या
सेंट आर सी कॉन्वेंट स्कूल शामली

 

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