सतीश सेठी /ब्यूरो चीफ सहारनपुर/ सनसनी सुराग न्यूज़
श्री कृष्ण जन्माष्टमी उत्सव द्वारा दिव्य ज्योति जागृती संस्थान, सत्संग आश्रम , पंत विहार सहारनपुर
दिव्य ज्योति जागृती संस्थान के संचालक परम पूजनीय सर्वश्री आशुतोष महाराज जी की शिष्या साध्वी भावना भारती जी ने पंत विहार स्थित आश्रम में प्रवचन करते हुए बताया कि जन्माष्टमी का पर्व केवल दही, हांडी उपवास या सजावटी झांकियां तक ही सीमित नहीं है बल्कि यह श्री कृष्ण की दिव्य शिक्षाओं को आत्मसात करने और उनके द्वारा दिखाएं आध्यात्मिक मार्ग पर चलने का, संकल्प लेने का पर्व है! क्योंकि श्री कृष्ण का अवतार लेना एक उत्सव है उनकी शाश्वत चेतना आज भी आपके जीवन को किस प्रकार दिव्य बना सकती है क्या आप केवल श्री कृष्ण में विश्वास करते हैं या उनकी आज्ञा भी मानते हैं !जन्माष्टमी के मूल पहलुओं को उजागर करते हुए इन सभी प्रश्नों के उत्तरों को विभिन्न माध्यमों से दिया गया और श्री कृष्ण को लेकर समाज में फैली मनगढ़ंत धारणाओं भ्रांतियां को दूर किया गया !
आगे प्रवचन करते हुए साध्वी जी ने बताया कि इस महाविभूति का महिमा गान करते हुए महर्षि
सारांसत कह उठे “कृष्ण अस्तु भगवान स्वयं” श्री कृष्ण पूर्ण भगवान है 16 कलाओं से युक्त सर्वाधिक अवतार हैं सच्चिदानंद स्वरूप ब्रह्मा का साक्षात प्रतिबिंब है
किंतु विडंबनीय तथ्य यह है कि आर्यावर्त जो इस पूर्ण अवतार की लीला स्थली रही उसी को कुछ विद्वत संताने मुक्त हृदय से स्वीकार नहीं कर पाई ,उनके अनुसार वे भगवान नहीं, एक विवाद इतिहास पुरुष थे! जब तक हम पूर्ण ब्रह्मनिष्ट गुरु की शरणागत नहीं होते तब तक हम भगवान श्री कृष्ण को नहीं जान सकते! तत्ववेता गुरु हमें दिव्य चक्षु प्रदान करते है!
तब एक शिष्य अपने भीतर प्रभु का साक्षात्कार करता है ,और वास्तव में तभी हमारा जीवन सफल हो सकता है! इसलिए भगवान श्री कृष्ण को केवल मानो ही नहीं अपितु उनके दर्शन कर उन्हें जाने भी! इस अवसर पर साध्वी बहनों ने भजनों पर संगत को मंत्र मुग्ध किया !और साथ ही छोटे बच्चों द्वारा भजनों पर नृत्य भी प्रस्तुत किया गया!